⇒ अब मै आप को बताने जा रहा हूँ tulsi-das-ka-jivan-parichay
गोस्वामी तुलसी दास का जन्म उतरप्रदेस के चित्रकूट जिले के राजापुर अलियास नामक अस्थान में 13 अगस्त 1532 ई0 में हुआ था | उनके पिता का नाम आत्माराम दुवे और माता का नाम हुलसी देवी था |आत्माराम संस्कृत के प्रकांड पंडित थें | उन्होंने जब अपने बच्चे का जन्म मुहूर्त देखा तो उन्होंने कहा यह बच्चा माँ और पिता दोनों के लिए हानिकारक है क्योंकि तुलसी दास का जन्म अभुक्त मूल नक्षत्र में हुआ था जिसके कारण तुलसी दास का जन्म होते ही उनकी माता का मृत्यु हो गया |
- कहा जाता है की जन्म से ही बत्तीसो दांत तुलसी दास के मुख में था | जब तुलसी दास पैदा लिया तो उनके मुख से राम राम का आवाज आया | ईसी लिए तुलसी दास के बचपन का नाम रामबोला पड़ा |
- तुलसी दास का लालन पालन एक वृद्ध भिखारिन को जिम्मेवारी सौंप दिया गया | तुलसी दास का बचपन बहुत दुःखमय था |आगे चल कर एक मंदिर जहां बहुत सारा बन्दर रहा करता था उसी मंदिर पर जाकर रहने लगा जहां ग्रामीणों के द्वारा बंदरो को भोजन दिया जाता था | उसी भोजन से अपना पेट भरने लगा | कुछ समय बाद एक मुनि वहां आयें जिनका नाम नरहरी बाबा था | उन्ही के सानिध्य में रहते हुए तुलसी दास का प्राथमिक शिक्षा प्रारंभ हुआ जो आगे चल कर हिंदी साहित्य में बहुत बड़ा योगदान दिए |
- तुलसी दास की शादी रत्नावली नामक कन्या से हुई | कहा जाता है की उनके फटकार के कारण ही तुलसी दास भगवत भक्त हो गए | हिंदी साहित्य के इतिहास में सगुन ब्रह्म के उपासक बने और राम जी के भक्त हुए |
- तुलसी दास की कई रचनाएँ पढाई जाती है | उनके द्वारा रचित कई ग्रन्थ है | तुलसी दोहावली ,गीतावली, कवितावली , रामचरितमानस इत्यादि
- उनकी मृत्यु 31 जुलाई 1623 ई0 में हुआ
⇒ मुझे उम्मीद है की tulsi-das-ka-jivan-parichay आप समझ गएँ होंगे