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danveer-karn

दानवीर कर्ण

जैसा की हम सब जानतें है | महाभारत, भारत का महाकाव्य है | इसी महाभारत का एक पात्र है danveer-karn

  • कर्ण का जन्म कुंती के द्वारा बाल्यकाल में ही हो गया था | सर्वविदित है की कुंती को एक ऋषि के द्वारा वरदान मिला था की तुम जिसका आह्वान करो गी उसके ही जैसा तेजश्वी पुत्र प्राप्त होगा| बाल्यकाल में ही कुंती अपने घर में सोई हुई थी तो सूर्य उदय हो रहा था | खिरकी या झरोखा से सूर्य की लालिमा छन कर कमरे में आ रही थी | उस लालिमा को देख कर कुंती मन मोहित हो गई और उसे दिनकर का याद आ गया | याद आते ही सूर्य प्रकट हो गया | और सूर्य देव ने कुंती से कहा की मै आया हु तो कुछ देकर ही जाऊंगा | जिसके कारण कुंती को कुवारी अवस्था में ही एक पुत्र का जन्म हुआ
  • सामाजिक लोक लज्जा के भय और डर से कुंती ने उस बच्चे को एक पिटारा में बंद कर के बहती हुई गंगा की धारा में प्रवाहित कर दिया | उस पिटारा को अधिरथ नाम का एक व्यक्ति ने पकरा और उस पिटारा को खोला तो उसने एक बच्चा देखा जो कवच कुंडल से सुशोभित था | उसे पाकर अधिरथ काफी खुश हुआ |
  • अधिरथ की पत्नी का नाम राधा था जिसके कारण कर्ण का एक नाम राधेय भी परा कहा जाता है | कर्ण को पाकर राधे माँ को छाती से दूध प्रवाहित होने लगा | इस तरह कर्ण का लालन पालन एक सूत वंस में हुआ | आगे चल कर कर्ण परशुराम के सानिध्य में रहकर अस्त्र , शस्त्र का ज्ञान शिखा और आगे चल कर महान धनुर्धर सावित हुआ |समय आने पर दुर्योधन ने कर्ण को अपना मित्र बनाकर अंग देश का राजा बनाया | फिलहाल जिसे भागलपुर कहा जाता है |
  • महाभरत के युद्ध होने से एक दिन पहले कर्ण कुंती से  मिलने गई थी | कर्ण ने उसे दान दिया था की मै तुम्हारे झोली में केवल अर्जुन को छोरकर 4 पुत्रो का जीवन दान देता हूँ |
  • जैसा की हम सब जानतें है  की  रनभूमि में जब कर्ण के रथ का पहिया धरती में फंस गया था | तो निहथे कर्ण के ऊपर कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने तावरतोर वाणो की बर्षा कर कर्ण का वध कर दिया | इस तरह  रनभूमि में मरकर danveer-karn अमर हो गया |
  • बाबा साहेब भीम-राव अम्बदेकर पर निबंध
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